POORAN RAWAT/EDITOR
राज्य के पर्वतीय जनपदों में हो रहे बरसात के इस बेहद खतरनाक मौसम में पिथौरागढ़ के अति दुर्गम आपदा प्रभावित क्षेत्रों का कई किलोमीटर पैदल चलकर स्थलीय निरीक्षण कर आपदा प्रभावित लोगों की समस्याएं देख-सुनकर 75 वर्षीय राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक मिसाल पेश की है….जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज तक पिथौरागढ़ के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई दौरा भी नहीं कर पाए हैं….उधर हरीश रावत आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर आपदा प्रभावित लोगों की समस्याएं देख-सुन कर हरिद्वार भी पहुंच चुके हैं पर राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अब आगामी 16 अगस्त को पिथौरागढ़ के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे और मुख्यमंत्री का यह दौरा हवाई होगा अथवा स्थलीय इस बात की अभी जानकारी नहीं मिल पाई है….
गौरतलब है कि बीते कुछ दिनों पूर्व पिथौरागढ़ के मुनस्यारी और धारचूला तहसील के अंतर्गत आने वाले बांसबगड़,नाचनी धापा,टांगा,मोरी और लुम्ती में आई आपदा के बाद बेहद दुर्गम रास्तों से कई किलोमीटर लंबा सफर तय कर पूर्व सीएम हरीश रावत ने इन आपदा प्रभावित गांव का स्थलीय निरीक्षण कर आपदा पीड़ितों की समस्याएं सुनी कर इस बात पर भी दुख जताया था कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों का अभी तक राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निरीक्षण तक नहीं किया है….साथ ही पूर्व सीएम हरीश रावत ने यह भी साफ कहा था कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पिथौरागढ़ में चलाए जा रहे राहत कार्यों की कमान अब सीधे अपने हाथों में ले लेनी चाहिए….
हरीश रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने के बाद यह भी कहा था कि पिथौरागढ़ के मुंसियारी और धारचूला क्षेत्र में आपदा प्रभावित सभी गांवों का अस्तित्व ही खत्म होने के कगार पर आ गया है,इसलिए सरकार द्वारा ग्रामीणों के पुनर्वास के लिए प्रभावी योजना तैयार की जानी चाहिए….हरीश रावत ने आपदा प्रभावित धापा गांव को अन्यत्र बसाने का भी सरकार से आग्रह किया है….आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के दौरान हरीश रावत ने दुखी मन से यह भी कहा था कि धापा और टांगा की आपदा ने तो मेरा दिल दहला दिया है….
आपदा क्षेत्रों का मंजर मेरे जेहन में घूमता रहा और मैं आपदा प्रभावितों की चिंता में रात भर सो नहीं पाया…साथ ही हरीश रावत ने यह भी साफ कहा था कि केदारनाथ त्रासदी के बाद पिथौरागढ़ की आपदा प्रदेश की सबसे बड़ी है और इस त्रासदी से राज्य को सबक लेने की जरूरत है….
रावत ने यह भी कहा था कि राज्य के कुल 443 गांवों में अभी भी आपदा का खतरा बरकरार है और आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं इन गांवों में राज्य सरकार को सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम करने होंगे और साथ ही साथ सरकार को अभी से कड़े कदम उठाने की जरूरत है,ताकि बड़ी त्रासदी को रोका जा सके|