POORAN RAWAT/EDITOR
(स्थानीय गढ़वाली भाषा में महिला से जानकारी प्राप्त करते हुए कोतवाल कोटद्वार मनोज रतूड़ी)
वह मस्जिद की खीर भी खाता है, और मंदिर का लड्डू भी खाता है, वह भूखा है साहब,उसे मजहब कहां समझ आता है!
जी हां….जब कोई इंसान कई दिनों से भूखा-प्यासा हो तो उसे सिर्फ भोजन की तलाश होती है….बीते 2 दिन पूर्व कोटद्वार में गस्त के दौरान महिला दरोगा भावना भट्ट को यह चला चला कि पौड़ी जिले के दूरस्थ गांव कांडानागा से एक 70 वर्षीय वृद्ध दर्शनी देवी कोटद्वार पहुंचकर कुछ दिनों से दर-दर की ठोकरें खा कर रात के वक्त फुटपाथ पर सोने को मजबूर हो रही है….न जाने कैसे नजर का चश्मा बनवाने के लिए यह वृद्ध महिला पौड़ी जिले के रिखणीखाल ब्लॉक के कांडानागा गांव से कोटद्वार पहुंच गई….
महिला दरोगा को जांच में यह भी पता चला कि वाहनों की आवाजाही बंद होने के कारण यह वृद्ध महिला बीते 4 दिन से वापस अपने गांव नहीं जा पा रही है….इस बात की सूचना जब महिला दरोगा भावना भट्ट ने कोटद्वार के कोतवाल मनोज रतूड़ी को दी तो सर्वप्रथम मनोज रतूड़ी इस वृद्ध महिला को लेकर कोतवाली पहुंचे….
कोतवाली परिसर में बड़े ही सेवा भाव से इस वृद्ध महिला को पहले तो पुलिस कर्मियों ने भोजन करवाया और बाद में कोतवाल मनोज रतूड़ी ने एक निजी वाहन से इस महिला को उनके गांव तक भेजने का इंतजाम कर दिया साथ ही इस वृद्ध महिला को रास्ते में खाने के लिए पुलिस ने फल और खाद्य सामग्रियों से भरा एक थैला भी दिया….
(मनोज रतूड़ी,कोतवाल कोटद्वार)
दर्शनी देवी के गांव पहुंचने के बाद गांव के ग्राम प्रधान ने कोतवाल मनोज रतूड़ी को फोन करके जब सकुशल वृद्ध महिला के गांव पहुंचने की सूचना दी तब जाकर कोतवाल मनोज रतूड़ी ने राहत की सांस ली….उधर कोटद्वार के निर्मल माता कुष्ठ आश्रम में रहने वाले लोगों के लिए आज पुलिस वाहन से पुलिसकर्मियों द्वारा आश्रम में काफी मात्रा में खाद्य सामग्री भी पहुंचाई गई….
हम आपको बता दें कि कोटद्वार पुलिस ने इन दिनों आपदा के मद्देनजर कोटद्वार कोतवाली के मालखाने को खाद्यान्न भंडारण गृह के रूप में तब्दील कर दिया है….
कोटद्वार में सख्ती से कानून-व्यवस्था कायम रखने के साथ-साथ पुलिस मानवता का फर्ज निभाते हुए इन दिनों जहां एक तरफ भूखे-प्यासे,गरीब और असहाय लोगों को भोजन और खाद्य सामग्री मुहैया करा रही है,वहीं दूसरी तरफ कोतवाल मनोज रतूड़ी ने कई दिनों से कोटद्वार में भूखे प्यासे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर 75 वर्षीय इस वृद्ध महिला को सकुशल उसके गांव पहुंचवा कर मानवता की मिसाल पेश की है|