POORAN RAWAT/EDITOR
17 अक्टूबर सन् 1997 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में बिहारीगढ़ थाना क्षेत्र में एक युवक का अपहरण करने वाले 8 बदमाशों में से तीन बदमाशों को अकेले तत्कालीन एसओ बिहारीगढ़ महेंद्र सिंह नेगी ने मुठभेड़ के बाद मौत के घाट उतार कर अपहृत युवक को बदमाशों के चंगुल से सकुशल बरामद कर उत्तर प्रदेश पुलिस में एक कीर्तिमान स्थापित किया था….दरअसल बीते 9 अक्टूबर को 1997 को बिहारीगढ़ थाना क्षेत्र के टांडा मानसिंह गांव से बदमाशों ने एक 18 वर्षीय युवक सुशील का अपहरण कर लिया था….इस वारदात को अंजाम देने वाले 8 बदमाशों ने अपहृत युवक के पिता से फिरौती के तौर पर 70 हजार रुपए की मांग की थी….अपहरण की इस वारदात के बाद अपराधियों को शिकंजे में लेने और अपराधियों के कब्जे से अपहृत युवक को सकुशल बरामद करने के लिए पुलिस ने जाल बिछाया और फिरौती की रकम के साथ अपहृत युवक के पिता को बदमाशों द्वारा बताए गए हिंडन नदी के रेलवे ओवरब्रिज के पास पुलिस ने जाने को कहा….
इस दौरान बिहारीगढ़ के थाना अध्यक्ष महेंद्र सिंह नेगी के साथ पुलिस की टीम सादे कपड़ों में आसपास के गन्ने के खेतों में तैनात हो गई….खुद महेंद्र सिंह नेगी हिंडन रेलवे ओवरब्रिज के पास किसान के रूप में खेत में ट्रैक्टर चलाने लगे….दोपहर के वक्त जैसे ही अपहृत युवक के पिता फिरौती की रकम लेकर मौके पर पहुंचे न जाने क्यों मौके पर पहुंचा एक बदमाश वहां से फिरौती की रकम लिए बिना ही भागने लगा….मानो बदमाश को यह अंदाजा लग गया था कि आसपास पुलिस टीम ने मोर्चा संभाल लिया है….इसी दौरान महेंद्र सिंह नेगी ने ट्रैक्टर से उतर कर तेजी से दौड़ लगाकर भाग रहे बदमाश को कब्जे में ले लिया और फिर क्या था नेगी ने अपने कमर से 9 एमएम की पिस्टल निकाली और बदमाश की छाती पर जैसे ही पिस्टल लगाई बदमाश नेगी के पैरों पर लेट गया….
अपने परिवार और अपने बच्चों की दुहाई देते हुए अपनी जान की भीख मांगते हुए बदमाश नेगी के पैरों पर लेट गया….फिर क्या था महेंद्र सिंह नेगी ने बड़े ही सूझबूझ के साथ पकड़े गए बदमाश के सामने यह प्रस्ताव रखा कि अगर वह यह बता दे कि अन्य बदमाश कहां छिपे हुए हैं और अपहृत युवक को सकुशल बरामद करा दें तो इसके एवज में पुलिस उसकी जान बख्श देगी…. खुद को मौत के एकदम नजदीक देख कर नेगी के शिकंजे में आए बदमाश के सामने और कोई रास्ता नहीं बचा था….इसलिए उसने यह तय किया कि वह पुलिस टीम को उस स्थान पर ले जाएगा जहां बदमाश छिपे थे….नेगी द्वारा पकड़े गए बदमाश जोगेंद्र ने बताया कि हिंडन नदी के रेलवे ओवरब्रिज के पास गन्ने के खेतों में दो बदमाश छिपे हुए हैं जो उसके साथ फिरौती की रकम लेने मौके पर आए है….
इसके बाद महेंद्र सिंह नेगी की अगवानी में पुलिस टीम धीरे-धीरे गन्ने के खेतों में दाखिल हुई पर गन्ने के खेतों में घात लगाकर बैठे दोनों बदमाशों को जैसे ही पुलिस टीम की आमद का अंदाजा हुआ बदमाशों ने गन्ने के खेत के अंदर से ही पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी….फिर क्या था मौके का अपनी टीम का नेतृत्व कर रहे महेंद्र सिंह नेगी ने हिरासत में लिए हुए बदमाश की आड़ लेते हुए अपनी 9 एमएम की पिस्टल का मुंह बदमाशों की तरफ खोल दिया और देखते ही देखते दोनों बदमाश मौके पर ही ढेर हो गए….इस दौरान बदमाशों द्वारा चलाई गई गोली से नेगी भी बाल-बाल बचे पर जैसे ही पुलिस बदमाशों के पास पहुंची उन्हें मौके पर अपहृत युवक नहीं मिला….
नेगी ने हिरासत में लिए गए बदमाश जोगेंद्र से जब काफी सख्ती से पूछा कि अपहृत युवक कहां है,तो उसने बताया कि बदमाशों की दूसरी टीम मौके से 3 किलोमीटर दूर बलिया खेड़ी रेलवे स्टेशन के पास गन्ने के खेतों में छिपी हुई है और बदमाशों द्वारा अपहृत किया गया युवक भी वहीं मौजूद है….नेगी मौके पर अपने दो पुलिस कांस्टेबल को तैनात कर खुद अन्य सिपाहियों के साथ 3 किलोमीटर का सफर तय करते हुए बलिया खेड़ी के उस स्थान पर पहुंच गए जहां 5 अन्य बदमाश अपहृत युवक के साथ मौके पर मौजूद थे….मौके पर पहुंची पुलिस टीम को यह पूरा यकीन हो गया था कि अगर उन्होंने बदमाशों को पकड़ने में ज्यादा जल्दबाजी दिखाई तो अपहृत युवक की जान भी जा सकती थी….लिहाजा पुलिस ने गन्ने के खेतों के 15 मीटर अंदर मौजूद बदमाशों को पकड़ने के लिए 15 मीटर का सफर धीरे-धीरे 15 मिनट में तय किया….वह इसलिए कि गन्ने की सूखी पत्तियों के ऊपर जब पुलिसकर्मी चलें तो इसकी आहट बदमाशों के कान तक ना पहुंचे….पुलिस धीरे-धीरे जैसे ही बदमाशों के एकदम करीब पहुंची तो मौके पर मौजूद बदमाशों के सरगना और कुख्यात हिस्ट्रीशीटर नौशाद ने पुलिस टीम का नेतृत्व कर रहे महेंद्र सिंह नेगी की तरफ फायर झोंक दिया….फिर क्या था महेंद्र सिंह नेगी ने एक बार फिर अपनी 9 एमएम की पिस्टल से तीन गोलियां चलाकर बदमाश को मौके पर ही ढेर कर दिया….
पुलिस ने अपहृत युवक को सकुशल बचाते हुए बदमाशों की तरफ लगातार फायरिंग की पर गन्ने के खेतों का फायदा उठाते हुए मौके से अन्य चार बदमाश भागने में सफल हो गए….इस मुठभेड़ के बाद जब पुलिस ने मृतक अपराधियों का आपराधिक रिकॉर्ड जुटाया तो पता चला कि बदमाशों का सरगना मृतक नौशाद हत्या,लूट और डकैती जैसे 8 मामलों में वांछित चल रहा था,जबकि मृतक जगदीश के ऊपर हत्या,लूट और डकैती जैसे 20 मुकदमे दर्ज थे….मृतक सौराज भी अपने क्षेत्र का टॉप का हिस्ट्रीशीटर बदमाश था….सहारनपुर जिले में दिनदहाड़े हुई मुठभेड़ में थानाध्यक्ष बिहारीगढ़ के हाथों तीन बदमाशों की मुठभेड़ में मौत के बाद महेंद्र सिंह नेगी रातों-रात यूपी पुलिस के हीरो बन गए थे….बाद में मौके पर पहुंचे सहारनपुर के तत्कालीन एसएसपी जी एल मीणा ने भी महेंद्र सिंह नेगी की पीठ थपथपाई थी….बाद में इस मुठभेड़ की मजिस्ट्रेट जांच भी हुई थी जिसमें यह साफ हो गया था कि मुठभेड़ पूरी तरह से रियल थी और महेंद्र सिंह नेगी ने अपनी जान जोखिम में डालकर बदमाशों द्वारा अपहृत किए गए युवक को सकुशल बरामद कर तीन बदमाशों को मुठभेड़ में मार गिराया था….इस पूरे मामले पर जब हमने सहारनपुर के तत्कालीन एसएसपी एवं वर्तमान में डीजीपी मानवाधिकार लखनऊ गोपाल लाल मीणा से बात की तो उन्होंने यह साफ कहा कि महेंद्र सिंह नेगी उत्तर प्रदेश में सबसे बहादुर पुलिस अधिकारियों के तौर पर जाने जाते थे और महेंद्र सिंह नेगी अपने हर कार्य को पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ अंजाम देते थे….साथ ही गोपाल लाल मीणा ने यह भी साफ कहा कि महेंद्र सिंह नेगी उत्तर प्रदेश पुलिस में एक हीरे के समान थे जो अपने बहादुरी से भरे शानदार कार्यों के कारण हमेशा पुलिस विभाग में अपनी एक अलग ही चमक बरकरार रखते थे….
हम आपको बता दें कि 1 मई वर्ष 1954 में अल्मोड़ा जिले के ग्राम कमान में स्वर्गीय श्रीमती मथुरा देवी और स्वर्गीय श्री मोती सिंह नेगी के यहां जन्मे महेंद्र सिंह नेगी वर्ष 1980 में बिजनौर जिले में एसआई के तौर पर यूपी पुलिस में भर्ती हुए….बिजनौर में बतौर एसआई भर्ती होने के बाद महेंद्र सिंह नेगी अपराध और अपराधियों के दृष्टि से काफी संवेदनशील पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत,मेरठ, सहारनपुर और गाजियाबाद जैसे संवेदनशील जनपद में तैनात रहे….इस दौरान यहां महेंद्र सिंह नेगी ने कई डकैतों,सुपारी किलर और कुख्यात इनामी बदमाशों को मुठभेड़ के दौरान मौत के घाट उतार दिया….
वर्ष 1998 में महेंद्र सिंह नेगी का प्रमोशन हो गया और नेगी इंस्पेक्टर बन गए….एक जांबाज,सरल स्वभाव और दिलेर अफसर होने के साथ-साथ महेंद्र सिंह नेगी की ख्याति एक ईमानदार अफसर के रूप में भी है….महेंद्र सिंह नेगी ने पुलिस में नौकरी के दौरान कभी भी अपनी वर्दी में जेब नहीं रखी….मतलब साफ था कि महेंद्र सिंह नेगी जब रिश्वत लेते ही नहीं है तो जेब रखने का मतलब ही क्या हुआ….राज्य गठन के बाद वर्ष 2003 में नेगी उत्तराखंड आ गए…. उत्तराखंड में भी महेंद्र सिंह नेगी ने अपराध और अपराधियों की दृष्टि से सबसे संवेदनशील हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर,नैनीताल और देहरादून में अपनी सेवाएं दी….
वर्ष 2017 में महेंद्र सिंह नेगी उत्तराखंड पुलिस से सेवानिवृत्त हो गए….अपनी तेजतर्रार और ईमानदार छवि के कारण ज्यादातर जिलों में नेगी अधिकारियों की गुड लिस्ट में नहीं रहे….यही कारण रहा कि नेगी के साथ भर्ती हुए अन्य अधिकारी जहां एक तरफ अपर पुलिस अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए वहीं महेंद्र सिंह नेगी को अपने जीवन काल में सिर्फ एक ही प्रमोशन मिल पाई…. पर बावजूद इसके महेंद्र सिंह नेगी सेवानिवृत्त होने के बाद आज भी पुलिस विभाग में बिताए गए अपने पूरे सेवाकाल से पूरी तरह से संतुष्ट हैं….
वीरों की धरती उत्तराखंड को आज भी महेंद्र सिंह नेगी पर नाज है क्योंकि महेंद्र सिंह नेगी ने उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दर्जनों मुठभेड़ के बाद धरती पर बोझ बन चुके 54 बदमाशों और कुख्यात अपराधियों को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया है…. सामान्य सी कद काठी वाले उत्तराखंड के इस लाल से नाम से आज भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े-बड़े अपराधी भय खाते हैं…. और आज भी बड़े-बड़े खूंखार अपराधियों को पकड़ने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पुलिस अधिकारी नेगी से उनके अनुभव का लाभ लेते रहते हैं|
पढ़िए….1997 में सहारनपुर के किस थाना क्षेत्र में गन्ने के खेतों में पुलिस मुठभेड़ के दौरान कैसे तीन कुख्यात बदमाशों को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट महेंद्र सिंह नेगी ने किया था ढेर
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