POORAN RAWAT/EDITOR
उत्तराखंड सीड्स एंड तराई डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की बोर्ड बैठक द्वारा लिए गए एक गलत निर्णय के कारण बिहार की राघव जी एंड संस फर्म ने तराई बीज निगम को 4 करोड़ 88 लाख रुपए का चूना लगा दिया है…. दरअसल वर्ष 2018-19 में तराई बीज निगम ने बिहार के हाजीपुर जिले की राघव जी एंड संस फर्म को 26000 क्विंटल गेहूं का बीज सस्ते दामों पर विक्रय कर दिया था….पर लिए गए बीजों के एवज में आरोपी फर्म द्वारा टीडीसी को अब तक मात्र ₹60 लाख रुपए का ही भुगतान किया गया है और टीडीसी का 4 करोड़ 88 लाख रुपए आज भी राघव जी एंड संस फार्म पर बकाया चल रहा है….
करोड़ों रुपए का गेहूं का बीज लेने के बाद आरोपी फर्म ने टीडीसी को कई पीडीएफ चेक दिए थे जो बाद में बाउंस हो गए और सूत्रों के अनुसार आरोपी फर्म द्वारा टीडीसी से खरीदे गए गेहूं के बीजों को आरोपी फर्म के मालिक द्वारा बिहार के कई फ्लोर मिलों में आधे रेट पर बेच भी दिया गया है….दरअसल जिस आईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल को टीडीसी की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए टीडीसी का एमडी नियुक्त किया गया था उन्हीं की अध्यक्षता में आयोजित हुई टीडीसी की बोर्ड बैठक में बिहार की राघव जी एंड संस फर्म को सस्ते दामों पर करोड़ों रुपए के गेहूं के बीज देने का निर्णय लिया गया था….और तो और करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़े के इस मामले में अभी तक तराई बीज निगम प्रबंधन के द्वारा आरोपी फार्म के खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई मुकदमा तक दर्ज नहीं करवाया गया है…. हां इस पूरे मामले को लेकर टीडीसी ने कोर्ट में एक वाद जरूर दायर किया है जिसके आधार पर कोर्ट ने आरोपी फर्म के मालिक को नोटिस जारी किया है…. जो आज तक आरोपी फर्म के मालिक को तमिल भी नहीं हो सका है….अब सवाल यह उठता है कि एक तरफ जहां टीडीसी में पूर्व में हुए करोड़ों रुपए की घोटाले की राज्य सरकार ने एसआईटी जांच करवा कर घोटाले के सभी आरोपियों को सलाखों के पीछे भेज दिया था….वहीं दूसरी तरफ करोड़ों रुपए के इस फर्जीवाड़े के पूरे मामले के जांच क्यों नहीं करवाई गई और इस पूरे मामले में अब तक टीडीसी प्रबंधन द्वारा धोखाधड़ी का कोई मुकदमा भी आरोपी फर्म के खिलाफ क्यों नहीं दर्ज करवाया गया….
( डॉ अभय सक्सेना, महाप्रबंधक टीडीसी)
उधर सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में टीडीसी ने घोर लापरवाही करते हुए आरोपी फर्म के साथ करोड़ों रुपए के गेहूं के बीज के लेनदेन को लेकर कोई एग्रीमेंट तक भी नहीं करवाया था…. जिस कारण टीडीसी प्रबंधन अब इस पूरे मामले पर बैकफुट पर नजर आ रहा है|