POORAN RAWAT/EDITOR
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद उत्तराखंड राज्य में भी भारतीय जनता पार्टी को अब आत्म चिंतन करने की आवश्यकता है….दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से एक बात तो स्पष्ट है कि अरविंद केजरीवाल ने यह सिद्ध कर दिया है कि *काम बोलता है* दिल्ली चुनाव परिणाम के नतीजे भी यह बताते हैं कि अब जनता काम के दम पर ही जनप्रतिनिधियों को वोट देती है….जो नेता या जनप्रतिनिधि आज के दौर में जनता को बेवकूफ समझते हैं वक्त आने पर जागरूक जनता उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव की तर्ज पर करारा जवाब देने से भी नहीं चूकती है….दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से जहां एक तरफ भाजपा में निराशा का माहौल है,वहीं दूसरी तरफ एक बात समझ से परे है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस कांग्रेस का सूपड़ा पूरी तरह से साफ हो गया है वह कांग्रेस पार्टी केवल इस बात से संतुष्ट दिखाई दे रही है कि दिल्ली में एक बार फिर भाजपा की सरकार नहीं बन पाई….
गौरतलब है कि बीते एक साल में मध्यप्रदेश,राजस्थान ,छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र और झारखंड भाजपा की झोली से बाहर हो चुके है….उत्तराखंड राज्य में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक कीर्तिमान स्थापित करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ 70 विधानसभा सीटों में से कुल 57 सीटों पर जीत हासिल की थी….पर आगामी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने इस रिकॉर्ड को कायम रख पाती है कि नहीं यह देखने वाली बात होगी….हालांकि सत्ता सरकार और संगठन में अपनी ईमानदार और साफ-सुथरी छवि के कारण अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सत्ता संभालने के बाद हुए लोकसभा चुनाव में पांचों लोकसभा सीट पर शानदार जीत दर्ज करने के साथ ही नगर निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में भी भाजपा ने बेहतरीन प्रदर्शन कर अच्छी जीत हासिल की थी….पर दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में भाजपा सरकार को अब यह भी आत्ममंथन करने की जरूरत है कि जिन वादों और मुद्दों के आधार पर जनता ने प्रचंड बहुमत देकर भाजपा को सत्ता की कमान सौंपी थी क्या राज्य सरकार जनता की उन उम्मीदों और कसौटी पर खरी उतरी है….क्योंकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तो दिल्ली में भी भाजपा ने क्लीन स्वीप करते हुए हैं सातों लोकसभा सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी पर इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा को दिल्ली में करारी हार का सामना करना पड़ा….उधर राजनीति के जानकारों की मानें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव का ठीक-ठाक असर उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में भी देखने को जरूर मिलेगा|
कहीं उत्तराखंड के लिए खतरे की घंटी तो नहीं है दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे
Recent Comments
करोड़ों रुपए के घाटे में चल रहे वन विकास निगम को घाटे से उबारने के लिए सीएम ने थपथपाई परिहार की पीठ
on
करोड़ों रुपए के घाटे में चल रहे वन विकास निगम को घाटे से उबारने के लिए सीएम ने थपथपाई परिहार की पीठ
on