जी हां बीते 21 जुलाई को रुद्रपुर के ग्राम दानपुर में स्थित बिंदुखेड़ा रोड पर सरकारी भूमि पर 10×10 का खोखा हटवाने के लिए खुद स्थानीय राजस्व उप निरीक्षक यानी पटवारी नसीम अकेले ही पहुंच गए,जहां 10 ×10 का खोखा हटाने को लेकर कुछ विवाद हो गया और बाद में श्रीमान पटवारी जी ने पुलिस को एक तहरीर सौंपी जिसमें उन्होंने यह बताया कि बिंदुखेड़ा मोड़ पर एक खोखा हटाने के लिए जब वो वहां पहुंचे तो खोखा रखने वाले मंगल सिंह ने उनके साथ गाली गलौच शुरू कर दी और मंगल सिंह के बेटे ग्रुपप्रीत सिंह ने तमंचा दिखाकर पटवारी को डराने धमकाने का प्रयास किया….साथ ही पटवारी महोदय ने यह भी आरोप लगाया कि बाप-बेटे ने मिलकर उनके साथ अभद्रता भी की जिसके बाद पुलिस ने मंगल सिंह और उनके बेटे के खिलाफ रुद्रपुर कोतवाली में सरकारी कार्य में बाधा डालने और सरकारी जमीन पर कब्जा करने सहित कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर और दोनों को गिरफ्तार कर लिया….
इस पूरे मामले में पटवारी की भूमिका पर एक नहीं कई खड़े हो रहे हैं,क्योंकि 10×10 का खोखा हटाने के लिए बिना कोई नोटिस जारी किए और बिना तहसील अथवा पुलिस प्रशासन को कोई सूचना दिए खुद पटवारी महोदय मौके पर पहुंच,जबकि पटवारी महोदय के क्षेत्र में स्थित रुद्रपुर-काशीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी हुई 1476 गज सरकारी भूमि पर तारबाड़ कर पल्लविका नर्सरी के मालिक महराजपुर निवासी किशन ठुकराल ने बीते कुछ माह पूर्व कब्जा कर लिया था पर शायद पटवारी जी को यह सब दिखाई नहीं दिया…. क्योंकि माननीय पटवारी जी को 10×10 के खोखे की ज्यादा चिंता थी,ना कि 1476 गज सरकारी भूमि की,जिसका बाजार मूल्य करोड़ों रुपए है….
और तो और 10×10 के खोखे को हटाने से पूर्व पटवारी जी ने कब्जे दार को किसी प्रकार का कोई नोटिस भी जारी नहीं किया और खुद मौके पर पहुंचकर खोखा हटवाने लगे,जबकि 1476 गज सरकारी भूमि पर हुए अतिक्रमण पर पटवारी जी ने अपनी तरफ से स्थानीय तहसील प्रशासन को ना तो कोई शिकायत की और ना ही कभी मौके पर पहुंचे और जब अतिक्रमण हटाने की बात हुई तो माननीय पटवारी जी ने 1476 गज सरकारी भूमि पर कब्जा करने वाले पल्लविका नर्सरी के मालिक महराजपुर निवासी किशन उर्फ कृष्ण लाल ठुकराल और बलदेव राज ठुकराल पुत्र हजारीलाल ठुकराल को सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने का नोटिस जारी कर 18 जुलाई तक आरोपी को स्वयं सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने का समय भी दे दिया था….
(पटवारी नसीम द्वारा 1476 गज सरकारी भूमि पर कब्जा करने वाले कब्जे दारु को जारी किया गया नोटिस)
बावजूद इसके अतिक्रमण कारी ने मौके से अतिक्रमण नहीं हटाया और आखिरकार बीते शनिवार को पटवारी नसीम और तहसील प्रशासन के कुछ लोग बकायदा जेसीबी मशीन के साथ दानपुर पहुंच गए और अतिक्रमण हटाने के नाम पर मौके पर बने एक झोपड़ी नुमा हट की कुछ ईटों को हटा कर तारबाड़ किए हुए कुछ खंभों को निकाल दिया…. और मजे की बात देखिए सरकारी भूमि पर छोटा सा खोखा रखने वाले पर सरकारी भूमि पर कब्जा करने का मुकदमा दर्ज कर दिया गया पर 1476 गज भूमि पर कब्जा करने वाले पल्लवीका नर्सरी के मालिक पर तुम्हारे लिए पटवारी जी ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं करवाया,जबकि पटवारी महोदय ने अतिक्रमण हटाने का जो नोटिस नर्सरी के मालिक को जारी किया था उसमें साफ लिखा था कि अगर आपने स्वयं अपना कब्जा नहीं हटाया तो आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी….
इन दोनों मामलों में सामान्य बात यह है कि दोनों आरोपियों ने सरकारी भूमि पर कब्जा किया था फर्क बस इतना है कि एक ने 10×10 का खोखा डालकर सरकारी भूमि पर कब्जा किया था और एक ने 1476 गज की बेशकीमती सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया था पर पटवारी जी एक कब्जे दार पर मेहरबान दिखे और दूसरे कब्जे दार पर मुकदमा दर्ज करवा कर उसे जेल की हवा खिला दी….इन दोनों मामलों को गौर से देखने पर सवाल यह भी उठता है कि आखिरकार पटवारी नसीब बेशकीमती 1476 गज सरकारी भूमि पर कब्जा करने वाले कब्जे दार पर मेहरबान क्यों है ? सड़क पर एक छोटा सा खोखा रख दिया गया इसकी जानकारी पटवारी जी को मिल जाती है और खोखा हटाने के लिए पटवारी जी खुद मौके पर पहुंच जाते हैं पर राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी हुई 1476 गज बेशकीमती सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हो जाता है और पटवारी महोदय को इसकी भनक तक नहीं लगती है….
मतलब साफ है कि पटवारी जी की डायरी में एक ही गुनाह के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान है,जिसे वह अपनी इच्छा अनुसार लागू भी करते हैं….सवाल यह भी उठता है कि एक गरीब किसी गरीब आदमी को सरकारी भूमि पर 10×10 का खोखे डालने की सजा मुकदमा और हवालात जाकर चुकानी पड़ी तो रसूखदार द्वारा किए गए बेशकीमती 1476 गज सरकारी जमीन पर कब्जा करने के मामले पर पटवारी महोदय ने अपनी आंख पर पट्टी क्यों बांध ली….
(हाथ में फाइल लिए हुए दनपुर के पटवारी नसीम)
कुल मिलाकर इन दोनों मामलों को देखकर यह साफ कहा कि सरकारी भूमि पर कब्जा करने के दोनों मामलों पर दानपुर के पटवारी नसीम ने नियमानुसार नहीं अपनी इच्छा अनुसार कानूनी कार्रवाई की है….लिहाजा जिला प्रशासन को अब इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से सलेना चाहिए, क्योंकि नियमानुसार किसी भी ग्रामीण क्षेत्र में एक-एक इंच सरकारी भूमि की देखरेख की जिम्मेदारी स्थानीय राजस्व उपनिरीक्षक यानी पटवारी की होती है और इन दोनों मामलों में पटवारी नसीम की भूमिका बेहद संदिग्ध थी।