जी हां,विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते 15 फरवरी को रुद्रपुर के सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता के कार्यालय में ई-टेंडर के माध्यम से गूलरभोज में लगभग 50-50 लाख रुपए के पांच अलग-अलग निर्माण कार्यों के लिए टेंडर बिड डाले गए थे पर टेंडर बिड डालने की प्रक्रिया से पूर्व ही अधिशासी अभियंता के कार्यालय में ठेकेदारों और अधिकारियों के गठजोड़ से टेंडर को लेकर पूल हो गया जिसके एवज में सभी 40 ठेकेदारों को लगभग 44-44 हजार रुपए भी मिल गए…हमारे विश्वसनीय सूत्रों ने हमें यह भी बताया है कि सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता कार्यालय परिसर में ही टेंडर पूलिंग की पूरी प्रक्रिया को ठेकेदारों द्वारा अंजाम दिया गया था और अगर अधिशासी अभियंता के कार्यालय में लगे सीसीटीवी की जांच कर ली जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा….
हालांकि इस पूरे मामले में जब हमने सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता पीसी पांडे से बात की तो उन्होंने यह साफ कहा कि उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला प्रकाश पर नहीं आया है और अगर ठेकेदारों के मध्य पूल हुआ होगा तो वो कार्यालय परिसर के बाहर हुआ होगा ….दरअसल किसी भी टेंडर में अगर कंपटीशन होता है तो टेंडर बिलो रेट पर जाता है,जिससे सरकार को फायदा मिलता है और अगर टेंडर प्रक्रिया में ठेकेदारों की मिलीभगत से पूलिंग हो जाए तो इसका फायदा कमीशन कमीशनखोर अधिकारियों को तो होता है पर सरकार को नुकसान होता है….इस पूरे मामले में सवाल यह भी उठना है कि ई- टेंडर प्रक्रिया में केवल तीन अथवा चार लोग ही टेंडर क्यों डालते हैं, जबकि ई टेंडर प्रक्रिया में तो दर्जनों की संख्या में ठेकेदारों को टेंडर डालना चाहिए ?…बहरहाल कुल मिलाकर इस पूरे मामले की जांच जिलाधिकारी को अवश्य करवानी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि कहीं सरकार को चूना लगाने का काम सरकारी अधिकारी ही तो नहीं कर रहे हैं?
रुद्रपुर:क्या ढाई करोड़ के टेंडर के लिए अफसरों के गठजोड़ से हुई ठेकेदारों में पूलिंग ?
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