POORAN RAWAT/EDITOR
**पुलवामा हमले के दिन देवभूमि उत्तराखंड में थे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी**
**बस इतना याद रहे एक साथी और भी था**
जी हां एलओसी फिल्म का यह गीत पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों को बार-बार श्रद्धांजलि देने के लिए हमें प्रेरित करता रहेगा….वो जो नहीं है भूल न जाना बस इतना याद रहे एक साथी और भी था….देश में आज ऐसा पहली बार हो रहा है कि वैलेंटाइन डे के दिन खासतौर पर देश की युवा पीढ़ी मां भारती के उन 44 वीर सपूतों को याद कर श्रद्धांजलि दे रही है जो बीते वर्ष 14 फरवरी को आतंकवादियों द्वारा किए गए एक कायराना हमले में शहीद हो गए….
पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों में से दो जवान देवभूमि उत्तराखंड के वीर सपूत भी थे….पुलवामा हमले में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मोहनलाल रतूड़ी और ऊधमसिंहनगर के वीरेंद्र सिंह भी शहीद हो गए थे….
रुद्रपुर में रहने वाले सीआरपीएफ के सेवानिवृत्त कमांडेंट डीआर खुराना यह साफ कहते हैं कि पुलवामा में सीआरपीएफ के दस्ते पर आतंकवादियों ने एक कायरता पूर्ण हमला किया था और आज भी देश में सीआरपीएफ अत्याधुनिक हथियारों से लैस और आधुनिक युद्ध कौशल में निपुण एक बेहतरीन अर्ध सैनिक बल है जो किसी भी स्थिति में आतंकवादियों को नेस्तनाबूद करने में सक्षम है….
दरअसल पुलवामा हमले के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रुद्रपुर में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर लोकसभा के चुनाव प्रचार का आगाज करना था पर अत्यधिक मौसम खराब होने के कारण प्रधानमंत्री कार्बेट नेशनल पार्क से निर्धारित समय पर रुद्रपुर के प्रस्तावित कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंच पाए….जिस वक्त पुलवामा में आतंकी हमला हुआ उस वक्त देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में नैनीताल जिले के कार्बेट नेशनल पार्क में मौजूद थे और डिस्कवरी चैनल द्वारा प्रायोजित मैन वर्सेस वाइल्ड के एक कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे थे….
पर जैसे ही प्रधानमंत्री को पुलवामा हमले की सूचना मिली मौसम खराब होने के बावजूद प्रधानमंत्री सड़क मार्ग से कार्बेट नेशनल पार्क से निकल पड़े और सड़क मार्ग से रुद्रपुर होते हुए बरेली पहुंचे,जहां बरेली के त्रिशूल एयरबेस से प्रधानमंत्री दिल्ली के लिए रवाना हो गए….पुलवामा हमले की सूचना से प्रधानमंत्री इतने व्यथित थे कि त्रिशूल एयरबेस पर पहुंचे भाजपा नेताओं का प्रधानमंत्री ने अभिवादन भी स्वीकार नहीं किया भाजपा नेता प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए फूल लेकर पहुंचे थे पर प्रधानमंत्री भाजपा नेताओं से बिना मिले ही सेना के विशेष विमान से दिल्ली के लिए रवाना हो गए….
प्रधानमंत्री को अपने निर्धारित समय के अनुसार 5:30 बजे बरेली के त्रिशूल एयर फोर्स स्टेशन पर पहुंचना था पर मौसम खराब होने के कारण सड़क मार्ग से आ रहे प्रधानमंत्री उस रात 10:30 बजे बरेली एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे थे…हालांकि कई राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री की इस बात की आलोचना भी की थी कि जिस दिन पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के जवान शहीद हुए थे उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्बेट नेशनल पार्क में मैन वर्सेस वाइल्ड की शूटिंग में व्यस्त थे….पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 44 जवानों की शहादत पर उस दिन मानो भगवान भी रो रहा था क्योंकि लगातार सुबह से रुक-रुक कर बारिश हो रही थी….मौसम भी बार-बार खराब हो रहा था मानो किसी बड़ी अनहोनी का संकेत दे रहा हो….
पुलवामा हमले की पहली बरसी पर आज एक अच्छी पहल यह देखने को मिली कि वैलेंटाइन डे के दिन खासतौर पर देश की युवा पीढ़ी ने सोशल मीडिया पर वैलेंटाइन डे को दरकिनार कर पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि दी और निश्चित रूप से देश के प्रत्येक नागरिकों को याद रखना चाहिए उन वीर जवानों की शहादत को जो हमेशा अपनी जान हथेली में रह रखकर मौत के साए में रहते हुए देश के प्रति अपना फर्ज निभा रहे हैं….
पूरा देश सीआरपीएफ के उन वीर शहीद जवानों की माताओं का भी हमेशा ऋणी रहेगा,जिन माताओं ने ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया जिनके रक्त की एक-एक बूंद देश के काम आई….निश्चित रूप से देश के हर नागरिक को सीआरपीएफ के उन जवानों की शहादत पर गर्व होना चाहिए जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देते हुए अपने प्राणों को देश के लिए निछावर कर दिया….
गौरतलब है कि सीआरपीएफ हमारे देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है और देश के अलग-अलग राज्यों में प्रत्येक वर्ष आतंकी और नक्सली हमले में सबसे ज्यादा सीआरपीएफ के जवान ही शहीद होते हैं….पर बावजूद इसके आज भी सीआरपीएफ के कंधों पर देश की अंदरूनी सुरक्षा की जिम्मेदारी है और इस बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को सीआरपीएफ के फौलादी जवान पूरी निष्ठा के साथ बखूबी निभा रहे है….
आज के दिन वैलेंटाइन डे को भूलकर युवाओं ने जिस तरीके से सोशल मीडिया पर पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि दी है वह निश्चित रूप से देश के युवा पीढ़ी की एक सराहनीय और सार्थक पहल है|