मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए चंपावत विधानसभा सीट से इस्तीफा देने वाले कैलाश गहतोड़ी को आज उत्तराखंड वन विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया गया है पर ऐसा नहीं है कि CM के लिए सीट छोड़ने वाले किसी पहले व्यक्ति को वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है….हम आपको बता दें कि उत्तराखंड में वर्ष 2002 में पहली निर्वाचित सरकार कांग्रेस की बनी और कांग्रेस आलाकमान ने ND तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया,जबकि उस दौरान एनडी तिवारी विधायक नहीं थे….इसलिए उन्हें छह माह में चुनाव जीतना था, लिहाजा रामनगर से कांग्रेस के विधायक योगंबर सिंह रावत ने उनके लिए सीट छोड़ दी और उस दौरान हुए रामनगर उपचुनाव में भी एनडी तिवारी ने भारी मतों से जीत हासिल की थी,जिसके बाद इनाम के तौर पर योगम्बर रावत को पहली बार उत्तराखंड वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया था….
उधर वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए धारचूला विधानसभा सीट छोड़ने वाले हरीश धामी को भी हरीश रावत ने उपचुनाव जीतने के बाद उत्तराखंड वन विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया था….यानी आप समझ गए होंगे कि उत्तराखंड में वन विकास निगम के अध्यक्ष का पद कितना महत्वपूर्ण होता है….दरअसल वन विकास निगम राज्य के विभिन्न निगमों में से सबसे सशक्त निगम है,जिसकी आय के अपने मजबूत संसाधन है और वर्तमान समय में वन विकास निगम करोड़ों के फायदे में चल रहा है…. उत्तराखंड वन विकास निगम (UAFDC) राज्य सरकार द्वारा गठित एक वैधानिक निकाय है….वन विकास निगम का गठन वनों के बेहतर संरक्षण, पर्यवेक्षण और विकास के लिए भी राज्य के भीतर वन उपज के बेहतर दोहन और उससे जुड़े मामलों के लिए किया गया था….वर्तमान समय में वन विकास निगम न केवल अपने वित्तीय पहलू में आगे बढ़ रहा है,बल्कि अपनी गतिविधियों के विविधीकरण की दिशा में भी निगम ने बड़ी छलांग लगाई है….
(कैलाश गहतोड़ी,अध्यक्ष,उत्तराखंड वन विकास निगम)
वन विकास निगम ने वन विभाग द्वारा आवंटित मृत और उखड़े पेड़ों को हटाने के अलावा आरक्षित वन क्षेत्रों के अंदर स्थित नदियों से लघु खनिजों के संग्रह और निपटान,औषधीय पौधों के संग्रह और विपणन और इको पर्यटन को भी अपने कार्यों में जोड़ा है….इसके अलावा प्रदेश में वन विकास निगम उपखनिज खनन के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है….कैलाश गहतोड़ी से पूर्व वन विकास निगम के अध्यक्ष पद वरिष्ठ भाजपा नेता सुरेश परिहार तैनात रहे,सुरेश परिहार को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वन विकास निगम के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी और सुरेश परिहार ने इमानदारी से किए गए अपने कार्यों से घाटे में चल रहे वन विकास निगम को लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए के लाभ पर पहुंचा दिया था और तो और सुरेश परिहार ने वन विकास निगम के अध्यक्ष पद पर रहते हुए यह योजना भी चलाई थी कि यदि किसी बीपीएल श्रेणी के परिवार में किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो संबंधित व्यक्ति के दाह संस्कार के लिए निगम के सभी घाटों और डिपो पर नि:शुल्क लकड़ियां दी जाएंगी….
(सुरेश परिहार,पूर्व अध्यक्ष,उत्तराखंड वन विकास निगम)
परिहार द्वारा लागू किया गया यह नियम आज भी यथावत है साथ ही साथ सुरेश परिहार ने कोरोना काल में वन विकास निगम से प्रदेश के विकलांग खिलाड़ियों को उनके जीविकोपार्जन के लिए पांच ₹5000 – ₹5000 की आर्थिक मदद भी मुहैया कराई थी….हम आपको बता दें कि वन विकास निगम के अध्यक्ष का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है और कार्यकाल खत्म होने के बाद भी सरकार के निर्देश पर 2 महीने तक सुरेश परिहार केयरटेकर के तौर पर बिना वेतन एवं अन्य सुविधा लिए वन विकास निगम के अध्यक्ष पद को संभाले रखा था….बहरहाल अब वन विकास निगम के अध्यक्ष पद पर चंपावत के पूर्व विधायक कैलाश गहतोड़ी की ताजपोशी हो गई है और कैलाश गहतोड़ी भी साफ-सुथरी छवि के भाजपा नेता हैं,इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि वन विकास निगम के अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद कैलाश गहतोड़ी भी वन विकास निगम को विकास के नए मुकाम तक जरूर पहुंचाएंगे।
देहरादून:जानिए क्यों,मुख्यमंत्री के लिए सीट छोड़ने वालों को मिलती है उत्तराखंड वन विकास निगम के अध्यक्ष पद की कमान
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करोड़ों रुपए के घाटे में चल रहे वन विकास निगम को घाटे से उबारने के लिए सीएम ने थपथपाई परिहार की पीठ
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