बीते कुछ माह से काफी सुर्खियों में रहने वाले रुद्रपुर के काशीपुर रोड पर स्थित एक नामी बारहवीं तक के इंग्लिश मीडियम पब्लिक स्कूल में आठवीं कक्षा से नीचे की कक्षा के एक छात्र की जेब से बीते 1 सितंबर को अफीम निकलने की सूचना से हड़कंप मच गया,जिसके बाद पूरे मामले की सूचना स्कूल प्रबंधन ने पुलिस को दी और स्कूल प्रबंधन से मिली सूचना के बाद सब इंस्पेक्टर महेश कांडपाल स्कूल पहुंच गए और देखा कि जिस छात्र की जेब मादक पदार्थ मिला है वह छात्र छोटी कक्षा का छात्र था,इसके बाद पुलिस और स्कूल प्रबंधन के लोगों ने छात्र की काउंसलिंग शुरू की तो उसने बताया कि बरामद मादक पदार्थ का प्रयोग उसके पिता के द्वारा किया जाता है…. दरअसल इस पूरे मामले में पुलिस को यह समझ में आ गया था कि छात्र अज्ञानता के कारण मादक पदार्थ अपनी जेब में लेकर स्कूल पहुंच गया, लिहाजा पुलिस टीम ने छात्र के साथ-साथ उसकी कक्षा के सभी छात्र-छात्राओं की काउंसलिंग कर बच्चों को मादक पदार्थों से दूर रहने की सलाह दी साथ ही पुलिस टीम के अधिकारी महेश कांडपाल ने छात्र-छात्राओं को मादक पदार्थों से होने वाले नुकसान के बारे में भी विस्तार से बताया….
उधर इस पूरे मामले पर जब हमने बीते कुछ माह पूर्व आयकर के रडार पर आए स्कूल के मालिक से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार व्हाट्सएप पर इस पूरे मामले पर केवल इतना लिखा **fake news** जबकि इस पूरे मामले की जांच के लिए स्कूल पहुंचने वाले पुलिस अधिकारी ने इस पूरे मामले के बारे में विस्तार से जानकारी दे दी थी और तो और खुद स्कूल प्रबंधन के द्वारा ही पुलिस को स्कूल में बुलाया गया था….अब सवाल यह उठता है कि जब स्कूल प्रबंधक ने खुद पुलिस को स्कूल में बुलाया तो सुर्खियों में रहने वाले स्कूल के मालिक इस पूरे मामले से पल्ला क्यों झाड़ रहे हैं ? हालांकि इस पूरे मामले पर स्कूल प्रबंधन की तरफ से ना तो कोई तहरीर स्थानीय पुलिस को दी गई और ना ही कोई मुकदमा दर्ज करवाया गया है….दरअसल ऐसे मामलों में स्कूल प्रबंधन हमेशा यह सोचता है कि ऐसे मामलों के उजागर होने से स्कूल की छवि खराब हो जाएगी पर स्कूल प्रबंधन को यह समझना चाहिए कि ऐसे मामलों को छुपाना नहीं चाहिए क्योंकि स्कूल में सैकड़ों छात्र पढ़ते हैं और ऐसी घटनाओं से अन्य छात्रों के दिलो-दिमाग पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है….एक तरफ जहां आए दिन स्कूलों में राष्ट्रीय समाचार पत्रों द्वारा “पुलिस की पाठशाला” जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर स्कूल में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को नशे की तरफ प्रेरित ना होने के लिए काउंसलिंग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं,वहीं दूसरी तरफ किसी परिजन की लापरवाही से अगर किसी स्कूली छात्र की जेब में मादक पदार्थ स्कूल तक पहुंच जा रहा है तो निश्चित तौर पर यह परिजनों की घोर लापरवाही है और स्कूल प्रबंधन को भी इस पूरे मामले का संज्ञान बेहद सख्ती से लेना चाहिए….
साथ ही स्कूल प्रबंधन को यह भी समझना चाहिए कि अगर मादक पदार्थ को जेब में रखकर स्कूल पहुंचने वाला छात्र स्कूल परिसर के अंदर ही मादक पदार्थ का सेवन कर लेता अथवा अपने अन्य मित्रों को इसका सेवन करवा देता तो इसके दुष्परिणाम कितने गंभीर हो सकते थे…कुल मिलाकर इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका एक काउंसलर की तरह रही और पुलिस अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर स्कूल प्रबंधन की मौजूदगी में छात्र की काउंसलिंग कर बेहतर पुलिसिंग की मिसाल कायम की,वहीं दूसरी तरफ स्कूल प्रबंधन ने पुलिस को बुलाकर अकलमंदी का काम किया क्योंकि स्कूल में अध्ययनरत अन्य छात्र-छात्राओं को भी यह समझ में आ गया कि अगर कोई छात्र गलती से भी स्कूल परिसर में मादक पदार्थ लाता है तो उसको कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता हैं…. इस पूरी घटना से स्कूल में पढ़ने वाले अन्य छात्र-छात्राओं को यह सबक भी मिल गया कि ऐसे किसी कृत्य से उनका भविष्य खराब हो सकता है और उन्हें कानून अपने शिकंजे में भी ले सकता है।
रुद्रपुर:स्कूली छात्र की जेब से मिला मादक पदार्थ,प्रबंधन के बुलावे पर स्कूल पहुंचकर पुलिस अधिकारी ने की छात्रों की काउंसलिंग
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