कहते हैं ना सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं हो सकता और देर से सही पर सच्चाई की जीत जरूर होती है…जी हां दोस्तों हमारी खबर का एक बहुत बड़ा असर एक बार फिर हुआ है…जनहित और जन सरोकारों से जुड़े हुए मुद्दों को हम समय-समय पर उठाते रहते हैं और ऐसे ही एक मामले को हमने बीते दो वर्ष पूर्व उठाया था…बीते 2 वर्ष पूर्व 13 सितंबर वर्ष 2022 को रुद्रपुर के नैनीताल रोड पर स्थित पंडित राम सुमेर शुक्ल राजकीय मेडिकल कॉलेज के निर्माणाधीन हॉस्टल परिसर से हुई लाखों रुपए के सरिया चोरी के मामले आखिरकार जिले के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ TC के तबादला होने के कुछ घंटे बाद ही पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है…
(13 सितंबर वर्ष 2022 को हमारे द्वारा बनाई गई सरिया चोरी की खबर का वीडियो)
हम आपको बता दें कि रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज के निर्माणाधीन हॉस्टल परिसर से लाखों रुपए की सरिया चोरी का हमने मौके पर पहुंचकर खुलासा किया था और दिनदहाड़े निर्माणाधीन हॉस्टल परिसर में हो रही चोरी की पूरी वारदात हमारे कैमरे में कैद होने के बाद मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य ने हमारी खबर के आधार पर ही 13 सितंबर को इस पूरे मामले में मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस को तहरीर भी सौंप दी थी पर 2 साल तक इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और चोरों को गिरफ्तार करने के बजाय पुलिस पूरे मामले को दबाने में लगी रही…जिले के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टीसी की भूमिका भी इस पूरे मामले में काफी संदिग्ध रही और यही कारण रहा कि उनके कप्तान रहते हुए इस पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य की तहरीर के आधार पर भी 2 साल तक मुकदमा तक दर्ज नहीं किया गया,जबकि हमारे द्वारा बनाई गई खबर में साफ तौर पर मौके पर चोर और चोरी करवाने वाले सभी संदिग्ध लोग भी मौके पर ही दिखाई दे रहे हैं पर बावजूद इस पूरे मामले में पुलिस ने 2 साल तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया…
(2 साल पहले मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य द्वारा पुलिस को दी गई तहरीर की कॉपी)
दरअसल इस पूरे मामले में विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज के निर्माणाधीन हॉस्टल परिसर का निर्माण करने वाली मुख्य कार्यदाई कंपनी ईपीआइएल (इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड) ने जेआर इंफ्राटेक कंपनी को राजकीय मेडिकल कालेज के हास्टल निर्माण का ठेका दिया था और जेआर इंफ्राटेक कंपनी ने कुछ स्थानीय रसूखदार ठेकेदारों को अपने साथ जोड़कर मौके पर छात्रावास का निर्माण कार्य भी शुरू करवा दिया था…इसी दौरान कुछ बड़ी अनियमितताओं को लेकर EPIL ने जू इंफ्राटेक से कार्य छीन लिया था जिसके बाद JR इंफ्राटेक द्वारा काफी लंबे समय तक अपने ठेकेदारों को कार्य के एवज में भुगतान नहीं किया गया लिहाजा अपना बकाया निकलवाने के लिए सफेदपोश रसूखदार ठेकेदारों के इशारे पर ही चोर निर्माण सामग्री और पिलर पर लगे लाखों रुपए के सरिया को दिनदहाड़े काटकर ले गए …दरअसल ठेकेदारों को यह शक था कि काम छिन जाने के बाद JR इंफ्राटेक अपना सामान समेट कर कभी भी मौके से भाग सकता है इसलिए अपना बकाया हिसाब किताब पूरा करने के लिए रसूखदार कुछ ठेकेदारों ने पिलर्स से सरिया कटवाकर बेचने का काम शुरू कर दिया…बाद में हमें यह भी जानकारी मिली कि पुलिस लाइन से कुछ ही कदम की दूरी पर स्थित इस काले कारनामे को बीते कई दिनों से रसूखदार ठेकेदारों द्वारा ही भ्रष्ट तंत्र की मिली भगत से अंजाम दिया जा रहा था…
(सरिया कटे हुए पिलर्स को जड़ से रिमूव करती हुई पोकलैंड मशीन)
हम आपको यह भी बता दें कि इस पूरे मामले में बड़ी-बड़ी अनियमितताओं के उजागर होने पर केंद्र पोषित योजना के तहत चल रहे रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज के निर्माणाधीन छात्रावास का कार्य EPIL हटाकर शासन ने 4 अक्टूबर वर्ष 2022 को उत्तराखंड पेयजल संसाधन एवं निर्माण निगम को दे दिया था,जिसके बाद कंक्रीट के जिन पिलर्स से चोरों द्वारा लाखों रुपए के सरिया चोरी किए गए थे उनकी गुणवत्ता खत्म हो जाने के कारण करोड़ों रुपए की लागत से बने उन पिलर्स को जल संसाधन एवं निर्माण निगम के द्वारा पूरी तरह से रिमूव कर मौके पर छात्रावास बनाने के लिए दोबारा नए कंक्रीट पिलर्स का निर्माण किया गया…इससे जहां एक तरफ राज्य सरकार को लगभग 60-65 करोड़ का नुकसान भी हुआ,वहीं दूसरी तरफ निर्धारित समय में पूरा होने वाला प्रोजेक्ट भी काफी लंबा खिंच गया क्योंकि नई संस्था को पूरा निर्माण कार्य मौके पर फिर से जीरो से स्टार्ट करना पड़ा…
(निर्माणाधीन हॉस्टल परिसर से सरिया कटे हुए सभी पिलर्स को उखाड़ कर उत्तराखंड पेयजल निर्माण निगम द्वारा फिर से शुरू किया गया हॉस्टल निर्माण कार्य)
उधर इस पूरे मामले में हमारी खबर का संज्ञान लेते हुए मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य की तहरीर पर पुलिस ने 2 साल तक कोई भी कार्रवाई नहीं की उल्टा इस पूरे मामले का खुलासा करने का खामियाजा हमें जरूर भुगतना पड़ा और इस खबर के प्रसारित होने के कुछ महीने बाद ही पुलिस ने हम पर एक फर्जी रंगदारी का मुकदमा दर्ज करवा दिया…अब जरा सोचिए लाखों रुपए की सरिया चोरी के इस पूरे मामले में जब जिले के कप्तान 2 साल तक तहरीर मिलने के बावजूद भी चोरों पर मुकदमा दर्ज करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए तो इसके पीछे कितने मजबूत और रसूखदार लोग जुड़े होंगे इसका अंदाजा आप भी आसानी से लगा सकते हैं…बावजूद इसके हमने जनहित से जुड़ी इस खबर को प्रसारित किया और जिसका खामियाजा भी हमें भुगतना पड़ा…
हम आपको बता दे कि इस पूरे मामले में जसपुर सहित जिले के दो सफेदपोश लोगों का नाम सामने आने के बाद विपक्ष ने भी इस पूरे मामले को मुद्दा बनाया था और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठाई थी…इस पूरे मामले को किच्छा के पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ भाजपा नेता राजेश शुक्ला ने राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष भी काफी मजबूती के साथ उठाया था… बहरहाल इस पूरे मामले में 2 साल बाद पंतनगर थाने में मुकदमा तो दर्ज हो गया है पर अब देखना ये होगा कि जब इस पूरे मामले में पुलिस को मुकदमा लिखने में ही पूरे 2 साल लग गए तो लाखों रुपए की सरिया चोरी करने वाले आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी में पुलिस को अब कितना समय और लगेगा ?
बड़ा सवाल यह भी उठना है कि आखिरकार ढाई साल तक ऊधमसिंहनगर जैसे बड़े जिले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की कुर्सी पर कुंडली जमाए हुए आईपीएस अधिकारी मंजूनाथ TC के हटाने के बाद ही लाखों रुपए के इस चर्चित सरिया चोरी प्रकरण में मुकदमा दर्ज क्यों किया गया?
हालांकि इस पूरे मामले पर हमारी खबर के प्रसारण के बाद तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने हमें यह बताया कि इस पूरे मामले में मुकदमा दर्ज करने के आदेश उनके द्वारा ही दिए गए हैं, चलिए अगर पूर्व एसएसपी की इस बात को मान भी लिया जाए तो भी सवाल यह उठता है कि आखिरकार क्या कारण था कि अपना तबादला आदेश जारी होने के बाद ही पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इस पूरे मामले में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए ?